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कहने को आज़ाद हो गए , फ़िर भी कब आज़ाद हुए , अब भी जक

कहने को आज़ाद हो गए ,
फ़िर भी कब आज़ाद हुए ,
अब भी जकड़े एक दायरे में,
स्वतंत्र कहाँ विचार हुए ,
अंग्रेजों के भय से नारी ,
तब पर्दे में रहती थी ,
खत्म कहाँ वो दकियानूसी,
नारी के अधिकार हुए,
मर्यादा में आज भी जकड़ी,
कल भी यही हालात हुए ,
जिस दिन निर्भय होकर नारी,
खुली सड़क पर निकलेगी,
उस दिन कहना देखो देखो,
हम सब भी आज़ाद हुए ।।

पूनम आत्रेय

©poonam atrey
  #स्वतंत्रता_दिवस🇮🇳
pragyanshatrey9859

poonam atrey

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स्वतंत्रता_दिवस🇮🇳 #समाज

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