जो सो रहा था गहरी नींद, वह फ़िर भी जागा हुआ था! जो समझ रहे थे खुद को जगा हुआ, उनके ही चक्षु मुंदे हुए थे!! प्रेम और सरलता से भरा हुआ कुंभ करण का चरित्र बहुत भला लगा!! #कुम्भ करण की नींद #14. 04.20