बादल ना जाने कितनी बार यहा से गुजर गया मगर ना जाने वो क्यो यहा का रास्ता बुल गया उसके इतजार मे बैठी रहती हूँ दिन और रात कभी तो लोटे गा मेरा सजन दिल दार