ख्याल अक्सर किसी न किसी लम्हे में छिपे होते हैं, जो कविता के किसी भी रूप में कागज पर उतर आते हैं I तो आइये जुड़ते हैं, कुछ ऐसे ही ख्यालों और लम्हों को साझा करने 'खोया लम्हा - कुछ तेरा कुछ मेरा' के साथ, हर महीने के आखिरी सप्ताह में I
आप अपनी लिखी कोई भी रचना- कविता, कहानी, शेर-शायरी, नज़्म, छंद, गज़ल या गीत इत्यादि, साझा कर सकते हैं I
इंतजार रहेगा, आपके 'खोया लम्हा' का, आएगा और सुनाएगा जरूर I
Khoya Lamha - Poetry is in moments.
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