ह्रदय की गहराई में, प्रेम का बीज बोया था मेरे आँसुओं से तुमने,कभी दामन भिगोया था भूल गई वो दिन! जब मुंडेर तले बैठकर तुमने, घंटों तक टकटकी निगाहों से,मेरा बाट जोया था मै एक दिन तुझमे समा जाऊँगी, तुम्हीं ने कहा था! हे प्रियंवद!मै तुम्हें हि अपनाऊँगी, तुम्हीं ने कहा था! तुम बेतुका ख़्वाब, सीसे की तरह टूटी हो। तुम भी झूठी हो! कभी कड़े धूप में मुझपर,तुने जुल्फ लहराया था कभी गालों पर चुंबन जड़,मेरा जुल्फ सहलाया था उस रात तुमने तो मुझे, अपने गोद में सुलाया था पर तेरी धड़कनों ने मुझे, रातभर जगाया था मै तेरी रूह में समाऊँगी, तुम्हीं ने कहा था! देख मै तेरा दर्द मिटाऊँगी, तुम्हीं ने कहा था! हाँ मगर ये घाव तुम्हीं ने दिएँ, अब तुम्हीं नहीं छूती हो। तुम भी झूठी हो! एक रात जब चाँद,खुद पे बलखाया था फिर तुमने उसे,उसकी औकात बतलाया था उस रात तो तुमने हद हिं कर डाला था, अपने अधरों का रस,मेरे अधरों पे छलकाया था अब मैं तेरे होठों से मुस्काऊँगी, तुम्हीं ने कहा था! देखो मैं तुम्हें जीना सिखलाऊँगी, तुम्हीं ने कहा था! अब,जब मेरा कोई नहीं तो तुम भी रूठी हो। तुम भी झूठी हो! इन अधरों से तेरा नाम, जाता हि नहीं मुझे और कोई चाँद, भाता हि नहीं आँसुओं से कहा, मुस्कुराना सीख लो ये दिल है कि, समझ पाता हि नहीं मैं एक दिन तुम्हें भूल जाऊँगी, तुम्हीं ने कहा था! देखो मैं तुमसे दूर चली जाऊँगी, तुम्हीं ने कहा था! ये बताओ जब तुम याद से जाती हि नहीं; तो क्या झूठ-मूठ कि रूठी हो? तुम भी झूठी हो! ©Brij Bihari Shukla #Love #only_love #Jhoot #Dhoka