हम इतराते रहे खुद को गुल ए गुलजार समझकर हमें गुलाब के कांटों की तरह नजरंदाज करके चले गए हुस्न के सौदागर ने परखा हमें एक जौहरी की तरह खरे न उतरे हम तो पत्थर समझकर चले गए हम खुद को हीरा समझते रहे जिंदगी भर वो मेरे विश्वास को गलतफहमी बनाकर चले गए हमने तो प्यार किया था वो इसे पागलपन कहकर चले गए आज भी राह देखते हैं हम मेरा इंतजार कभी मत करना कहकर वो चले गए .... ©NISHA DHURVEY चले गए #चलेगए