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बचपन की यारी वो कुछ ऐसा समां था न मतलब था न मजहब अ

बचपन की यारी वो कुछ ऐसा समां था
न मतलब था न मजहब अड़ा था
खेलते खेलते ही
अपने हम उम्र से दिल मिला था
वो कुछ अपने भाई बहन जैसा ही लगा था
आज भी वैसी ही रिश्तेदारी है
कुछ ऐसी अपनी तो
बचपन की यारी है.......

#अंजान..... #अंजान....
#मेरी_डायरी....
#nojoto...
बचपन की यारी वो कुछ ऐसा समां था
न मतलब था न मजहब अड़ा था
खेलते खेलते ही
अपने हम उम्र से दिल मिला था
वो कुछ अपने भाई बहन जैसा ही लगा था
आज भी वैसी ही रिश्तेदारी है
कुछ ऐसी अपनी तो
बचपन की यारी है.......

#अंजान..... #अंजान....
#मेरी_डायरी....
#nojoto...