अंजान से बेनाम रिश्ते अंजान से बेनाम रिश्ते... कुछ अनाम रिश्तों की पहचान नहीं होती इसमें सबकुछ होते हुए भी कुछ नहीं होता मुलाकात भी होती है तो अनजानों सी टीस उठती है दिलो में पर आह नहीं होती