Nojoto: Largest Storytelling Platform

.... दृश्य रात्रि के प्रथम प्रहर का है । सब कुछ अं

.... दृश्य रात्रि के प्रथम प्रहर का है । सब कुछ
अंधकार की चादर तले धीरे धीरे ढांका जा रहा ; सबको डर है रौशनी कहीं उनकी वास्तविकता न छीन ले । गली के चौराहे पर बिजली के खंबे से लटका बल्ब ने खुद को सूरज मान लिया है । इर्द पर घूमते कीड़े मकोड़े उसे फिर भी मोह से अधिक नहीं समझते न निकल पाते हैं उसकी चकाचौंध के भंवर से । 

एकांत का महत्व मेरी देह को पता नहीं वो ठिठकी जमी पड़ी है एक कोने में ।खुलते बंद होते दरवाजे की एक आवाज पर मेरे दोनो कान सामने वाली सड़क के
उस पार तक दौड़ लगा आते । उन्हे सबकी दिनचर्या में  चल रहे घटना क्रम का ब्योरा चाहिए । 

आकाश अपनी जगह पर टिका है ; भाग तो धरती रही है । मौन उसकी पलकों से ऐसे टपक रहा जैसे मधुमक्खी के छाते से शहद। हां "आंसू कुछ और नहीं दुख के छत्ते में जमी हुई मधु की बूंदे हैं" । जिसे बनाने के लिए नजाने कितनी बार मेरी दृष्टि ने किसी देह में अपने डंक चुभाए होंगे ।
.... दृश्य रात्रि के प्रथम प्रहर का है । सब कुछ
अंधकार की चादर तले धीरे धीरे ढांका जा रहा ; सबको डर है रौशनी कहीं उनकी वास्तविकता न छीन ले । गली के चौराहे पर बिजली के खंबे से लटका बल्ब ने खुद को सूरज मान लिया है । इर्द पर घूमते कीड़े मकोड़े उसे फिर भी मोह से अधिक नहीं समझते न निकल पाते हैं उसकी चकाचौंध के भंवर से । 

एकांत का महत्व मेरी देह को पता नहीं वो ठिठकी जमी पड़ी है एक कोने में ।खुलते बंद होते दरवाजे की एक आवाज पर मेरे दोनो कान सामने वाली सड़क के
उस पार तक दौड़ लगा आते । उन्हे सबकी दिनचर्या में  चल रहे घटना क्रम का ब्योरा चाहिए । 

आकाश अपनी जगह पर टिका है ; भाग तो धरती रही है । मौन उसकी पलकों से ऐसे टपक रहा जैसे मधुमक्खी के छाते से शहद। हां "आंसू कुछ और नहीं दुख के छत्ते में जमी हुई मधु की बूंदे हैं" । जिसे बनाने के लिए नजाने कितनी बार मेरी दृष्टि ने किसी देह में अपने डंक चुभाए होंगे ।