#lonelynight {Bolo Ji Radhey Radhey}
गणेश जी विघ्न विनाशक व शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं। अगर कोई सच्चे मन से गणोश जी की वंदना करता है, तो गौरी नंदन तुरंत प्रसन्न होकर उसे आशीर्वाद प्रदान करते हैं। वैसे भी गणेश जी जिस स्थान पर निवास करते हैं, उनकी दोनों पत्नियां ऋद्धि तथा सिद्धि भी उनके साथ रहती हैं उनके दोनों पुत्र शुभ व लाभ का आगमन भी गणेश जी के साथ ही होता है। कभी-कभी तो भक्त भगवान को असमंजस में डाल देते हैं। पूजा-पाठ व भक्ति का जो वरदान मांगते हैं, वह निराला होता है।
काफ़ी समय पहले की बात है एक गांव में एक अंधी बुढ़िया रहती थी। वह गणेश जी की परम भक्त थी। आंखों से भले ही दिखाई नहीं देता था, परंतु वह सुबह शाम गणेश जी की बंदगी में मग्न रहती। नित्य गणेश जी की प्रतिमा के आगे बैठकर उनकी स्तुति करती। भजन गाती व समाधि में लीन रहती। गणेश जी बुढ़िया की भक्ति से बड़े प्रसन्न हुए। उन्होंने सोचा यह बुढ़िया नित्य हमारा स्मरण करती है, परंतु बदले में कभी कुछ नहीं मांगती।
भक्ति का फल तो उसे मिलना ही चाहिए। ऐसा सोचकर गणेश जी एक दिन बुढ़िया के सम्मुख प्रकट हुए तथा बोले- ‘माई, तुम हमारी सच्ची भक्त हो। जिस श्रद्धा व विश्वास से हमारा स्मरण करती हो, हम उससे प्रसन्न हैं। अत: तुम जो वरदान चाहो, हमसे मांग सकती हो।’
बुढ़िया बोली- ‘प्रभो! मैं तो आपकी भक्ति प्रेम भाव से करती हूं। मांगने का तो मैंने कभी सोचा ही नहीं। अत: मुझे कुछ नहीं चाहिए।’ गणेश जी पुन: बोले- ‘हम वरदान देने केलिए आए हैं।’ बुढ़िया बोली- ‘हे सर्वेश्वर, मुझे मांगना तो नहीं आता। अगर आप कहें, तो मैं कल मांग लूंगी। तब तक मैं अपने बेटे व बहू से भी सलाह मश्विरा कर लूंगी। गणेश जी कल आने का वादा करके वापस लौट गए।’ #जानकारी