या तो मैं खुश रहूँ या तू खुश रहे गलत ही सही बात अलग तो नही तेरी सुर्खी मेरे प्यालो में है अब तक ये प्यास हैं या फिर कोई तलब तो नही कभी गिरा कभी उठा कभी चलने लगा मैं माना हार हुई हैं मेरी हारना गलत तो नही अरसे बिता दिए एक तेरे इंतजार में न आना जिद हैं तेरा जिद्दी फलक तो नहीं — % & #तलब