सिमट जाएं बेशकीमती, ये वक्त... वाक्या बड़ा कम सा है। गुज़र गया जो हुआ नहीं समझना क्या समझाना क्या है, सिलसिले सिलवटों पर लकीरों ये खुला ऊपर नीचे जिंदगी का ताना बाना कैसा है, सिर्फ चंद छंदों में बनावट मिल जाए, कलम हर बार यूं सिर्फ उसी तरह पेड़ बनाता कहां है । लतीफों और अफसानों को क्या सुनाएं जो क्या बीते दिल हर बार हर हाल ये आजकल ज़माने को सुनाता कहां है । ठहरा नहीं मुझमें वो... #ठहरानहींमुझमें #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi