*जिंदगी जैसे जलानी थी वैसे जला दी हमने गालिब....!* *अब धुएँ पर बहस कैसी और राख पर ऐतराज कैसा.....!!* *जिंदगी जैसे जलानी थी वैसे जला दी हमने गालिब....!* *अब धुएँ पर बहस कैसी और राख पर ऐतराज कैसा.....!!*