उम्र तुम्हारी चौंतीस की और एक सौ दो कहानियाँ हाथों में लिए फिरती हो हिना की निशानियाँ.. होंठों से निगाहों से गरज बरस पड़ती हो अल्हड़पन के नशे में हर रोज निखरती हो.. धीरे-धीरे मुझ में तुम फूट कर उभरती हो तुम सादगी से अपनी ऐ-दोस्त गजब करती हो ठिठोलियों में छिपा लेती हो अक्सर अपनी वीरानियाँ.. उम्र तुम्हारी चौंतीस की और एक सौ दो कहानियाँ! -KaushalAlmora #दोस्तीमुबारक #उम्र #कहानियां #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqpoetry