जब भी कभी आती है कोई सुनामी, कोई भूकम्प या कोई भी महामारी। अवश्य ही कुपित होती होगी प्रकृति, एहसासों के इज़हार की आ जाती है बारी।। ©Sneh Prem Chand बारी