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हसरतों की मीनारें,चाहत की बारिशों में ढह गई रहा न

हसरतों की मीनारें,चाहत की बारिशों में ढह गई
रहा न वजह कोई जीने में,उम्मीदें जो बह गई
अब तो ले डूबा दे मुझे भी,दरिया ए ज़िन्दगी
और नहीं सह सकता कि साँसें,हलक ही में रह रही

©paras Dlonelystar
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