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किसी के अल्फाजों में उतर जाना है,जिंदगी। ख्वाबों म

किसी के अल्फाजों में उतर जाना है,जिंदगी।
ख्वाबों में मुस्कुरा के गुजर जाना है, जिंदगी।
बदहवास सी दौड़ में कहीं ठहर जाना है, जिंदगी।
चमक बनकर निगाहों में नजर आना है, जिंदगी।
तकलीफें जेब में छिपाकर घर जाना है, जिंदगी।
मासूम सी ज़िद पे खुद भी मचल जाना है, जिंदगी।
खुशियों के सिक्कों से घर को चलाना है, जिंदगी।
कभी यूं ही रहगुजर का दिल बहलाना है, जिंदगी।
टूटे दिल के अश्क सबसे छिपाना है, जिंदगी।
वो मुस्कुरा दे कि वो फसाना सुनाना है, जिंदगी।
कभी फुर्सत में मां का सर सहलाना है, जिंदगी।
गुरबत में संग पिता के पसीना बहाना है, जिंदगी।
गम हैं मगर फिर भी उन्हें झुठलाना है, जिंदगी।
रिश्तों की गांठों को भी सुलझाना है, जिंदगी।
अकेला ही आना है अकेले जी जाना है, जिंदगी।

दीपेश

©deepesh singh #Life 

#TRAFFICLIGHT
किसी के अल्फाजों में उतर जाना है,जिंदगी।
ख्वाबों में मुस्कुरा के गुजर जाना है, जिंदगी।
बदहवास सी दौड़ में कहीं ठहर जाना है, जिंदगी।
चमक बनकर निगाहों में नजर आना है, जिंदगी।
तकलीफें जेब में छिपाकर घर जाना है, जिंदगी।
मासूम सी ज़िद पे खुद भी मचल जाना है, जिंदगी।
खुशियों के सिक्कों से घर को चलाना है, जिंदगी।
कभी यूं ही रहगुजर का दिल बहलाना है, जिंदगी।
टूटे दिल के अश्क सबसे छिपाना है, जिंदगी।
वो मुस्कुरा दे कि वो फसाना सुनाना है, जिंदगी।
कभी फुर्सत में मां का सर सहलाना है, जिंदगी।
गुरबत में संग पिता के पसीना बहाना है, जिंदगी।
गम हैं मगर फिर भी उन्हें झुठलाना है, जिंदगी।
रिश्तों की गांठों को भी सुलझाना है, जिंदगी।
अकेला ही आना है अकेले जी जाना है, जिंदगी।

दीपेश

©deepesh singh #Life 

#TRAFFICLIGHT