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रात का चादर ओढ़ बैठा है वो। दिन से थोड़ा बैर करता

रात का चादर ओढ़
बैठा है वो।
दिन से थोड़ा बैर करता हैं।
भले ही दूर रहता है वो।
मगर चांद अपने तारे से
मोहब्बत बेशुमार करता हैं।

©Rakesh Rawani #rakeshrawani
रात का चादर ओढ़
बैठा है वो।
दिन से थोड़ा बैर करता हैं।
भले ही दूर रहता है वो।
मगर चांद अपने तारे से
मोहब्बत बेशुमार करता हैं।

©Rakesh Rawani #rakeshrawani