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इश्क़ करने चले तो दर्द की दौलत मिल गई। मुस्कुराहट

इश्क़ करने  चले तो दर्द की  दौलत मिल गई।
मुस्कुराहट रही क़ायम कि मौहलत मिल गई।

कुछ रोज़ तक रोशनाई में नहाते रहे जमकर!
बदन पोंछने!क्या निकले? तोहमत मिल गई।

चाहत की उमस में बूंद बूंद हुआ जिस्म मेरा!
हल्की बारिश तो आई  ख़्वाहिश पिघल गई।

वफ़ा तेरे इश्क़ से  बेपनाह करता रहा।
राह-रौ बनकर भी मंज़िल निकल गई। 🎀 Challenge-256 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 60 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
इश्क़ करने  चले तो दर्द की  दौलत मिल गई।
मुस्कुराहट रही क़ायम कि मौहलत मिल गई।

कुछ रोज़ तक रोशनाई में नहाते रहे जमकर!
बदन पोंछने!क्या निकले? तोहमत मिल गई।

चाहत की उमस में बूंद बूंद हुआ जिस्म मेरा!
हल्की बारिश तो आई  ख़्वाहिश पिघल गई।

वफ़ा तेरे इश्क़ से  बेपनाह करता रहा।
राह-रौ बनकर भी मंज़िल निकल गई। 🎀 Challenge-256 #collabwithकोराकाग़ज़

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