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*मैं चलती गया, रास्ते मिलते गये !* *राह के काँटे फ

*मैं चलती गया, रास्ते मिलते गये !*
*राह के काँटे फूल बनकर खिलते गये !!*
*ये जादू नहीं, कृपा है मेरे प्रभु की !*
*वरना उसी राह पर लाखों फिसलते गये !!*
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©Kusum Nishad
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