उसके पलकों से गिरते उन आशुओं का जिनमें उसके प्यार का हर कतरा लहू की तरह बहता हो, उसके कहने की ठीक हूँ मैं, तुम फ्री होकर मिलना, तुम्हारे कॉल के इंतज़ार मे सारी रात उस फोन को निहार देना, सिर्फ लफ़्ज़ों में उसे जान ना बनाओ, अपनी ज़िंदगी में यार झूठा ही सही एक मुकाम तो दिलाओ, वो फिर भी, सब सह कर भी, तुमसे अलग होकर भी अपनी हर दुआ में ताउम्र तुम्हारा ज़िक्र कायम रखेगी, चलो कुछ ना करो, प्यार भी ना करो पर हाँ सम्मान तो कर लिया करो ©shilpy suman sahu #poet in u #