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White जिस जमीन से भरते थे पेट उसे शहरियत निगल गई ए

White जिस जमीन से भरते थे पेट उसे शहरियत निगल गई
एक और किसी के खेत पर देखो नई सड़क बिछ गई

विकास के नाम पर अन्नदाता की रोजी रोटी छिन गई
पूंजीवादी की किस्मत देखो तिजोरियां उनकी भर गई

जिन पे किया था भरोसा सत्ता की कठपुतलियां बन गई
झूठा था अन्नदाता का ताज हमें तो ईनाम में भुखमरी दी गई
जब भी मांगा हक हमने सरकारों की नियत बदल गई
पता नहीं चला दोस्ती कब उनकी दुश्मनी में बदल गई

अब तो और मुश्किल है क्योंकि चेहरों की सूरत बदल गई
जिन्होंने दशकों से लूटा था हमें उन्हीं से मदद की खबर भिजवाई गई

हमें अहसास है हमको कभी ना सरकारों से इंसाफ मिलेगा
सिर पर अन्नदाता का ताज सजाकर हरदम ही लूटा जायेगा

©Manpreet Gurjar
  #kisaan