#समीर तिवारी की कलम से.. सत्य, धर्म हित जब पग बढते धन्य जनम हो जाता है मद मे जिसने निज मग ढूंढा सिर धुन धुन पछताता है देख दृष्य निज नयन नहीं जो बस मे अपने कर पाया भ्रम के भारी भंवर मे फंसकर डूब डूब कर मरजाता है चहु दिश है छल, दंभ,द्वेश सूझ बूझ से बडना है बाहर बैरी बहुत नहीं पर खुद ही खुद से लडना है पुष्प हार देने वाला ही कांटे भी भर जाता है पितृ शक्ति धाम संकट मोचन ज्योतिष पीठ मो.न.9956878303 समीर तिवारी नोटः कापी पेष्ट काट छाट ना करे ©समीर तिवारी #selflove