रिश्तों के मायने जो बदले हैं यूं हालात बदल गए हैं। कभी जो पूछते थे ख़ैरियत वो सवालात् बदल गए हैं। लफ़्ज़ों की शराफ़त अब नज़र नहीं आती, एक दफ़ा की आंधी में सब अल्फ़ाज़ बदल गए हैं। मुझमें हुई हैं तब्दीलियां या तुमने हीं रूख़ बदला हैं दिलों में इज़्ज़त और मन के ख़यालात् बदल गए हैं। कभी फुर्सत में तुझसे और ख़ुद से भी पूछेंगे इतने कच्चे थे क्या वो, जो जज़्बात बदल गऐ हैं। ©Jupiter and it's moon....(प्रतिमा तिवारी) बेकद्री में उलझे रिश्ते...!