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चुप रहो, मत कहो कुछ मेरे सामने सिर्फ बैठे रहो दे

चुप रहो, मत कहो कुछ 
मेरे सामने सिर्फ बैठे रहो 
देखता ही रहूं मैं तुम्हें 
और सदियों की प्यासी निगाहों 
की ये तिश्नगी खत्म हो 
फिर उतारूं तुम्हें अपने भीतर 
जहां एक समंदर तुम्हारी 
प्रतीक्षा में बेसुध पड़ा है 
तुम्हें देखकर आसमां तक उठाए लहर 
और सराबोर हों हम 
लिए एक दूजे को आगोश में

©Ashish #Pyas
चुप रहो, मत कहो कुछ 
मेरे सामने सिर्फ बैठे रहो 
देखता ही रहूं मैं तुम्हें 
और सदियों की प्यासी निगाहों 
की ये तिश्नगी खत्म हो 
फिर उतारूं तुम्हें अपने भीतर 
जहां एक समंदर तुम्हारी 
प्रतीक्षा में बेसुध पड़ा है 
तुम्हें देखकर आसमां तक उठाए लहर 
और सराबोर हों हम 
लिए एक दूजे को आगोश में

©Ashish #Pyas
ashish6589924769591

Ashish

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