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किसीको अपना मानने से कोई अपना नहीं होता, चार क़दम

किसीको अपना मानने से 
कोई अपना नहीं होता,
चार क़दम साथ चलने से कोई हमसफ़र 
नहीं होता।
लोग तो यू ही साथ छोड़ देते है
ग़म_ए_बाज़ार में,
सिर्फ मा_बाप को छोड़कर,
दूसरा कोई सहारा नहीं होता।

©Silent killer Sahi kaha Maine....
किसीको अपना मानने से 
कोई अपना नहीं होता,
चार क़दम साथ चलने से कोई हमसफ़र 
नहीं होता।
लोग तो यू ही साथ छोड़ देते है
ग़म_ए_बाज़ार में,
सिर्फ मा_बाप को छोड़कर,
दूसरा कोई सहारा नहीं होता।

©Silent killer Sahi kaha Maine....