कुछ लिखने को बेताब कलम है और लिखने को है आतुर मन सूरज की गर्मी लिख डालूँ या लिख दूँ धरती के अधर की तड़पन अश्रुसिक्त विरहन की व्यथा लिखूँ या लिख डालूँ खोता बच्चे का बचपन है रिक्त मन किन्तु सिक्त नयन नींदों से खाली रातें लिख दूँ या लिख दूँ जीवन की उलझन || @स्मृति.... मोनिका ✍️ #Freedom#नींदों से खाली रातें