वक़्त जो रेत है मुट्ठी से फिसल जाता है लाख कोशिश करो वो लौट के न आता है यूँ गुज़रता है कि वो था ही नहीं एक पछतावे के सिवा और क्या रह जाता है वक़्त तो रेत है मुट्ठी से फिसल जाता है #वक़्त