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प्रेम - प्रसंग का तुम भाव अनुकूल, रुद्र - रूप का म

प्रेम - प्रसंग का तुम भाव अनुकूल,
रुद्र - रूप का मैं घाव प्रारूप !
तुम जान सको ना मेरी पीड़ा,
फिर भी करती तुम इतनी घृणा !

अब चुप रहु कुछ बोल सकूं ना,
उन बातों का क्यूं मोल सहू ना !
प्रेम - तड़प की तड़पन सारी,
मर्म - बीमारी क्यूं पड़े हृदय पे भारी !

©Naveen Chauhan
  प्रेम - प्रसंग का तुम भाव अनुकूल,
रुद्र - रूप का मैं घाव प्रारूप !
तुम जान सको ना मेरी पीड़ा,
फिर भी करती तुम इतनी घृणा !

अब चुप रहु कुछ बोल सकूं ना,
उन बातों का क्यूं मोल सहू ना !
प्रेम - तड़प की तड़पन सारी,
chauhannaveen0753

Nobita

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प्रेम - प्रसंग का तुम भाव अनुकूल, रुद्र - रूप का मैं घाव प्रारूप ! तुम जान सको ना मेरी पीड़ा, फिर भी करती तुम इतनी घृणा ! अब चुप रहु कुछ बोल सकूं ना, उन बातों का क्यूं मोल सहू ना ! प्रेम - तड़प की तड़पन सारी, #Quotes

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