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बे-दर्द हमसफ़र यह राह नहीं है फूलों की, ज़िन्दगी जि

 बे-दर्द हमसफ़र यह राह नहीं है फूलों की,
ज़िन्दगी जिए कौन उसूलों की..!

फन्दे पे लटकी ख़्वाहिशें हैं,
चाहत है खुशियों के झूलों की..!

अंधेर नगरी चौपट राजा की,
यादें है बिसरी भूलों की..!

कौन जीता कौन हारा जग में,
पकड़ मजबूत किसकी मूलों की..!

बढ़ते रहे ग़म के बादल,
बारिश हुई यहाँ फिर शूलों की..!

तकते रहे न मिली राह-ए-तरक्की,
सफलता की दूरी मीलों की..!

©SHIVA KANT
  #walkingalone #bedardhumsafar