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ये खुदा तूने किस दौर मे ला खड़ा किया ये जिंदगी...

ये खुदा तूने किस दौर मे ला खड़ा किया 
ये जिंदगी...
ना चल पा रही है,ना ठहर पा रही है...
ख़ामोशी से जी रहीं ये ज़िंदगी 
अब अल्फाजों के समुंदर मे आना चाहती है 
थक गयी ऐ जिंदगी तेरे संग जीते जीते 
अब सुकून की नींद सोना चाहती है 
जानती हूं.....
गवारा नहीं है ये जहाँ पर अब
शून्य को शून्य का मूल्य बताना चाहती हूं

©Hymn
  #poetry #hopes
richabajpayi3174

Hymn

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#Poetry #hopes

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