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आते जाते एक फलसफा सा रह गया सरोकार-ए-क़ितआ में वफ़ा

आते जाते एक फलसफा सा रह गया
सरोकार-ए-क़ितआ में वफ़ा छोड़ सब रह गया
अंधेरे की जद में थे सब के सब 
और मैं अकेला पहली सफ में रह गया अकेला होना ईमानदार होने की निशानी है।
आते जाते एक फलसफा सा रह गया
सरोकार-ए-क़ितआ में वफ़ा छोड़ सब रह गया
अंधेरे की जद में थे सब के सब 
और मैं अकेला पहली सफ में रह गया अकेला होना ईमानदार होने की निशानी है।

अकेला होना ईमानदार होने की निशानी है।