मेरे मोहन मोहन गिरिधारी...!2! लेलो शरण में तुम्हारी...!2! मायाबस छोटी बातों को ही बड़ा समझते थे, तुमको जानते तो थे, पर कहाँ समझते थे !2! हर छण की गड़ना करके, मन संदेहो से भरते थे, क्या होगा, कब, कैसे होगा, यह सोच सोच डरते थे, तुम सुनते होगे मेरी, ये आस नहीं करते थे, करते थे बिनती तुमसे, पर विश्वास नहीं करते थे, अपनी गढ़नाओं को ही सब सार समझते थे, तुम्हें मानते भी थे, पर कहाँ समझते थे !2! मेरे मोहन मोहन गिरिधारी...!2! लेलो शरण में तुम्हारी...!2! #krishna #harekrishnaharerama #harekrishna