ख़ुशी और ग़म कमबख़्त मांगी थी जो ख़ुशी, मैनें अपनो के लिए अपने राम से, हम खुद ही खुदके ख़ुशीयों के गुनहगार हो गए। किया जो मैंने ख़ुशीयों का व्यपार अपनो के लिए, अपने ही गमों के हम सरदार हो गए। अपने ही करके ख़ुशीयों को तबाह मेरी, अब तो गम बनके वे ही मेरे सर पे सवार हो गए कमबख़्त मांगी थी जो ख़ुशी, मैनें अपनो के लिए अपने राम से, हम खुद ही खुदके ख़ुशीयों के गुनहगार गए। #खुद ही खुदके ख़ुशीयों के गुनहगार हो गए