ख़्वाब का अधूरा हो जाना ‘तुम हो’ ये कहानी ख़्वाब और कल्पना की है जिसमें कल्पना की सुनहरी यादें समेट रखा है ख़्वाब ने. बिना कोई नक़ाब ओढ़े किस्से बने कुछ प्यारी सी गर्मी का मौसम था 17/05/22 का दिन था परीक्षा फॉर्म की हार्डकोपी जमा करने लिए हम सभी दोस्त कॉलेज गए थे जहा हम सभी दोस्तो ने हार्डकॉपी जमा कर लिया था केवल कल्पना बच गई थी कल्पना कॉलेज लेट से आई थी इसलिए वह लेट से जमा की पर कुछ कारण से मैम ने कल्पना को इंतज़ार करने को कहा. दूसरी ओर हम सारे दोस्त गार्डन में बैठ कर बातें कर रहे थे और ख़्वाब गर्मी से परेशान था क्यों की उसे बहुत ज्यादा गर्मी लग रहा था इसलिए वह अपना रूमाल पानी से गीला कर अपने चेहरे को पोछता और फिर ख्वाब ने रूमाल से अपनी आंखों को ढक लिया इसी बीच कल्पना आ गई और सबसे हाथ मिलाया केवल ख्वाब से हाथ नही मिलाया उसने बस सर को छू कर कहा Hi ख़्वाब.. तत्पश्चात ख़्वाब अचानक से रूमाल हटाया और कहा अरे कल्पना तू यहा कितना टाइम आई ? तो कल्पना ने कहा बस अभी आई और फिर ख़्वाब और कल्पना की कुछ खास बातें नही हुई फिर कुछ देर बाद कल्पना का कॉलेज का काम भी हो गया फिर हम सब ने सर के साथ कुछ तस्वीर ली और फिर कॉलेज के बाहर जा कर हम सभी ने कुछ तस्वीर लिया