वो मिलते है, तो जरा इतरा के मिलतें है कानधे से दुपट्टा जरा, सरका के मिलतें हैं वो जानते है हमारी चाहतो की तलब सहरा मे पानी की तरह, हमे तरसा के मिलतें हैं Sahra