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आते हैं गाँव शहर छोङ के अपना,हम यहाँ पहले तो लगता

आते हैं गाँव शहर छोङ के अपना,हम यहाँ पहले तो लगता सा था विरान फिर हो गया यहाँ के जगहों से प्यार 
यहाँ दोस्त भी मिलते हैं ऐसे ऐसा लगता है यही सब हैं हमारा परिवार 
बस खाने कि हीं बात है उसका ना ही कोई जवाब है मटर पनीर में पनीर नहीं तो आलू की पूङी हो या कचौङी तो उसमें आलू ही नहीं  हम हास्टलरस को ना पसंद रहती है राजमा किंतु हफ्ते में हो उनसे भी एक बार मुलाकात 
खैर हम हास्टलरस को अपने WARDEN से रहता है काफी लगाव इसलिए हम सब बाजे गाजे करते हैं उन्हें याद बस रहता है उनका सुनने का नजरिया ख़ास 
हास्टल वो जगह है जहाँ दुश्मनी का पता नहीं दोस्ती रहतीं हैं सदैव ही बेमिसाल।
आगे को चल के बस रह जाएगी बस याद बस यारों तुम याद बन कर रह न जाना
बस यारों तुम याद बन कर रह न जाना।

©hemant tarun Tripathi #hostel #hostellife #Love #friends
आते हैं गाँव शहर छोङ के अपना,हम यहाँ पहले तो लगता सा था विरान फिर हो गया यहाँ के जगहों से प्यार 
यहाँ दोस्त भी मिलते हैं ऐसे ऐसा लगता है यही सब हैं हमारा परिवार 
बस खाने कि हीं बात है उसका ना ही कोई जवाब है मटर पनीर में पनीर नहीं तो आलू की पूङी हो या कचौङी तो उसमें आलू ही नहीं  हम हास्टलरस को ना पसंद रहती है राजमा किंतु हफ्ते में हो उनसे भी एक बार मुलाकात 
खैर हम हास्टलरस को अपने WARDEN से रहता है काफी लगाव इसलिए हम सब बाजे गाजे करते हैं उन्हें याद बस रहता है उनका सुनने का नजरिया ख़ास 
हास्टल वो जगह है जहाँ दुश्मनी का पता नहीं दोस्ती रहतीं हैं सदैव ही बेमिसाल।
आगे को चल के बस रह जाएगी बस याद बस यारों तुम याद बन कर रह न जाना
बस यारों तुम याद बन कर रह न जाना।

©hemant tarun Tripathi #hostel #hostellife #Love #friends