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क्यों मेरे साथ ही ऐसा होता है क्यों सारी उलझने मे

क्यों मेरे साथ ही ऐसा होता है 
क्यों सारी उलझने मेरे हिस्से हैं 
क्यों इस चक्रव्यूह का 
रास्ता नहीं दिखाई देता!

मेरी बड़बड़ और मैं
दोनों ही चुप हैं
बे तरतीब बिखरे बालों में
ठूँसा है  शिकायतों का अंबार

मेरे भीतर का कोलाहल 
मेरी  उष्णाताएँ
सब माथे पर आकर दिखाई दे रही थी

परेशानियों की सारी लकीरे 
माथे पर खींची हुई थी 
उसने चूमकर सब सपाट कर दिया! #अनाम_ख़्याल 
#चुंबन 
#अनाम_प्रेम
क्यों मेरे साथ ही ऐसा होता है 
क्यों सारी उलझने मेरे हिस्से हैं 
क्यों इस चक्रव्यूह का 
रास्ता नहीं दिखाई देता!

मेरी बड़बड़ और मैं
दोनों ही चुप हैं
बे तरतीब बिखरे बालों में
ठूँसा है  शिकायतों का अंबार

मेरे भीतर का कोलाहल 
मेरी  उष्णाताएँ
सब माथे पर आकर दिखाई दे रही थी

परेशानियों की सारी लकीरे 
माथे पर खींची हुई थी 
उसने चूमकर सब सपाट कर दिया! #अनाम_ख़्याल 
#चुंबन 
#अनाम_प्रेम