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मैं स्नेह सुरा का पान किया करता हूं, मैं कभी ना

मैं स्नेह सुरा का पान किया करता हूं,   
मैं कभी ना जग का ध्यान किया करता हूं;
जग पूछ रहा उनको, जो जग की गाते,। 
मैं अपने मन का गान किया करता हूं!  
है यह अपूर्ण संसार ना मुझको भाता , 
मैं स्वप्नों का संसार लिए फिरता हूं,।
जग भव सागर से तरने को नाव बनाए 
मैं भव मौजों पर मस्त वहा करता हूं।   
मैं जग जीवन का भार लिए फिरता हूं, 
फिर भी मैं जीवन में प्यार के लिए।     
फिरता हूं।
-हरिवंश राय बच्चन

©"pradyuman awasthi" #great poet
मैं स्नेह सुरा का पान किया करता हूं,   
मैं कभी ना जग का ध्यान किया करता हूं;
जग पूछ रहा उनको, जो जग की गाते,। 
मैं अपने मन का गान किया करता हूं!  
है यह अपूर्ण संसार ना मुझको भाता , 
मैं स्वप्नों का संसार लिए फिरता हूं,।
जग भव सागर से तरने को नाव बनाए 
मैं भव मौजों पर मस्त वहा करता हूं।   
मैं जग जीवन का भार लिए फिरता हूं, 
फिर भी मैं जीवन में प्यार के लिए।     
फिरता हूं।
-हरिवंश राय बच्चन

©"pradyuman awasthi" #great poet
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Pradyumn awsthi

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