अक़्सर ख़ल ही जाया करती हैं अपनों की क़मियाँ। जब अपनें ही भूल जाया करते हैं अपनों की गलियाँ। 'बाग़बान' करे भी क्या याद करके वो पल,वो घड़ियाँ? जब अब बनकर 'फ़ूल' गईं हैं भूल उसे सारी कलियाँ। -रेखा "मंजुलाहृदय" ©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" #बाग़बान #माली #पिता #तात #पापा #माँ #father #Mother #मंजुलाहृदय #Rekhasharma