मंदिर में जो मूरत है उन्हें युसूफ भी बनाता है.. मस्जिद की दीवारों को मोहन भी सजाता है.. यह भी एक हकीकत है जो 'वो' हमसे छुपाता है.. इंसानों के लहू में 'वो' हमें अंतर बताता है.. बहते इस लहू को 'वो' पानी बनाता है... पानी की तरह लहू को फिर... कभी मोहन बहाता है.... कभी युसूफ बहाता है... 'WO, KAUN...