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प्रशंसा से पिघलना मत, आलोचना से उबलना मत, न

प्रशंसा से पिघलना मत,
    आलोचना से उबलना मत,
   निस्वार्थ भाव से कर्म करिए                 
क्योंकि इस धरा का, इस धरा पर,
        सब धरा रह जायेगा।

©TEJPAL धरा पर धरा
प्रशंसा से पिघलना मत,
    आलोचना से उबलना मत,
   निस्वार्थ भाव से कर्म करिए                 
क्योंकि इस धरा का, इस धरा पर,
        सब धरा रह जायेगा।

©TEJPAL धरा पर धरा
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