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देख रईस और हष्ट पुष्ट को,वह राहुल - राज बनाती, दे

देख रईस और हष्ट पुष्ट को,वह राहुल - राज बनाती,

देख लाचार फिर एक सख्श को भैया कहती जाती।

पा अवसर वह पेश करती, दृढ़ प्रमाण दृढ़ चरित्र का,

अक्सर ये वो,जो करती फरोख्त अप्रौढ़ स्वचरित्र का।।(*स्त्री* कविता से) स्त्री कविता से कुछ अंश
देख रईस और हष्ट पुष्ट को,वह राहुल - राज बनाती,

देख लाचार फिर एक सख्श को भैया कहती जाती।

पा अवसर वह पेश करती, दृढ़ प्रमाण दृढ़ चरित्र का,

अक्सर ये वो,जो करती फरोख्त अप्रौढ़ स्वचरित्र का।।(*स्त्री* कविता से) स्त्री कविता से कुछ अंश

स्त्री कविता से कुछ अंश