आध्यात्म देता ज्ञान कि, वाणी को रखना मौन है, कानों से श्रवनामृत चखो, आंखों को रखना बन्द है।। मन छले, भटकाये बुद्धि, इन्द्रियाँ चंचल भंवर, गुप्तचर 'माया' के, इनकी, शक्ति करना मन्द है।। आत्मा, सोई सदी से, बाह्य कोलाहल बहुल, भूल बैठी, अपना प्रियतम, कृष्ण! इसकी पसंद है।। जागरण करना है जीवन का, तो प्राणी 'हृदय' सुन, 'मौन' में सुन ब्रह्मनाद, ये जगत केवल द्वन्द है। मुक्त कर्ताभाव से हो, कर्म कर निष्काम तू, मन में राधाकृष्ण, रख, जीवन में फिर उत्कर्ष है।। भक्ति ही है मार्ग केवल, प्रभु के धाम पहुँच सके, चल तू राही, आज ही, गोलोक, ही गन्तव्य है।। ©Tara Chandra #अध्यात्म_ज्ञान