Nojoto: Largest Storytelling Platform

गीता सुगीता कर्त्तव्या किमन्यै शास्त्र विस्तरै। या

गीता सुगीता कर्त्तव्या किमन्यै शास्त्र विस्तरै।
या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्माद्वि निसृता:।।
~श्रीमद्भागवतगीता
मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏💐🚩
जयश्रीकृष्ण

©Ganesh Singh Jadaun इसलाम का कोई आदर्श पारलौकिक स्वरुप या विचारधारा नहीं है। यहां मोक्ष नहीं हूर प्राप्ति ही परम पुरुषार्थ माना गया है हमारे बुद्धिजीवी वामपंथियों की तरह। और उसे कुतर्क द्वारा हलाल अर्थात उचित ठहराया गया है।

यह केवल अन्य धर्मों के प्रति आक्रमण की भावना से  प्रतिक्रिया वादी धार्मिक उलेमाओं की अवसरवादी लचीली हदीसो पर चलता है।

राजनीतिक धर्मसत्ता की प्राप्ति केलिए इसके विचारक हर गुनाह को किताब का हवाला देकर जायज़ ठहराने में सक्षम हैं।
लेकिन इतनी निरंकुशता न हिन्दू धर्म के किसी धर्मगुरु में है न हिन्दू इतने अंधधर्मसमर्थक हैं। इसलिए हम कभी इनके खिलाफ एक नीति नहीं अपना पाए। हम कभी राक्षसों के खिलाफ लडने के लिए उनके स्तर तक नहीं उतर पाए। यही नैतिकता हिंदुओं के पतन का कारण बनी। हमने कभी निहत्थे पर वार नहीं किया, हमने शत्रु की महिलाओं को माल ए गनीमत नहीं समझा, हमने हारे हुए शत्रु की जनता का तलवार की धार पर धर्मांतरण नहीं कराया।

क्योंकि हिंदू धर्म सदा से उदार विचारों, पंथों का संयुक्त परिवार रहा है। (दया धर्म का मूल है)
गीता सुगीता कर्त्तव्या किमन्यै शास्त्र विस्तरै।
या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्माद्वि निसृता:।।
~श्रीमद्भागवतगीता
मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏💐🚩
जयश्रीकृष्ण

©Ganesh Singh Jadaun इसलाम का कोई आदर्श पारलौकिक स्वरुप या विचारधारा नहीं है। यहां मोक्ष नहीं हूर प्राप्ति ही परम पुरुषार्थ माना गया है हमारे बुद्धिजीवी वामपंथियों की तरह। और उसे कुतर्क द्वारा हलाल अर्थात उचित ठहराया गया है।

यह केवल अन्य धर्मों के प्रति आक्रमण की भावना से  प्रतिक्रिया वादी धार्मिक उलेमाओं की अवसरवादी लचीली हदीसो पर चलता है।

राजनीतिक धर्मसत्ता की प्राप्ति केलिए इसके विचारक हर गुनाह को किताब का हवाला देकर जायज़ ठहराने में सक्षम हैं।
लेकिन इतनी निरंकुशता न हिन्दू धर्म के किसी धर्मगुरु में है न हिन्दू इतने अंधधर्मसमर्थक हैं। इसलिए हम कभी इनके खिलाफ एक नीति नहीं अपना पाए। हम कभी राक्षसों के खिलाफ लडने के लिए उनके स्तर तक नहीं उतर पाए। यही नैतिकता हिंदुओं के पतन का कारण बनी। हमने कभी निहत्थे पर वार नहीं किया, हमने शत्रु की महिलाओं को माल ए गनीमत नहीं समझा, हमने हारे हुए शत्रु की जनता का तलवार की धार पर धर्मांतरण नहीं कराया।

क्योंकि हिंदू धर्म सदा से उदार विचारों, पंथों का संयुक्त परिवार रहा है। (दया धर्म का मूल है)