Nojoto: Largest Storytelling Platform

*मानसिक स्वास्थ्य* अच्छे-बुरे पल जीवन में अक्सर आत

*मानसिक स्वास्थ्य*
अच्छे-बुरे पल जीवन में अक्सर आते रहते हैं ।
और हमारे मन का संयम परखते रहते हैं ।
हर हाल में लेकिन हमें मुस्कुराना चाहिए ।
जिंदादिली से जीवन का हर क्षण बिताना चाहिए ।
मगर कभी ऐसा होता है,अपना ही कोई ग़म देता है ।
हम उस पर भरोसा करते हैं,और वो छलता रहता है ।
उसके ऐसा करने से हम ,अंदर तक हिल जाते हैं ।
ना चाहते हुए भी हम बड़े दुखी हो जाते हैं ।
लेकिन ये भरपाई भी हम, अपनी करनी की भरते हैं ।
अनुभव तो सचेत करता है फिर भी नजरंदाज हम करते हैं ।
इसीलिए कभी-कभी , मुश्किल में पड़ जाते हैं ।
ना चाहते हुए भी,,आहत मन को कर जाते हैं ।
वैसे भी मानसिक स्वास्थ्य पर,असर तभी गहरा पड़ता है। 
जब मनचाहा कुछ मिलने में ,तकदीर का पहरा पड़ता है । 
नौकरी हो , पैसा हो , या हो किसी का सच्चा प्यार,,
जब तक मिल ना जाए ,आता नहीं दिल को करार ।
मगर एक बात भूल जाते हैं हम ,
दुनियाँ करले कितने भी सितम ।
हर वो शय मुमकिन है जगत में ।
जिसे चाहें पूर्ण मनोयोग से हम ।
तो क्यों अपना मानसिक स्वास्थ्य गिरायें ।
क्यों ना मन में दृढ़ विश्वास जगायें 
सब कुछ संभव इसी धरा पर ,
तो प्रयास तो बेहतर करते जायें ।
और मनचाहा सब कुछ पा जायेँ ।
हाँ मनचाहा सब कुछ पा जायेँ

©Pratibha Dwivedi urf muskan #मानसिकस्वास्थ्य #प्रतिभाउवाच #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कान© #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे 

#feelings  Sangeeta Yadav Meera Kumari Kavita Mehta kiran kee kalam se Priyanka Jain
*मानसिक स्वास्थ्य*
अच्छे-बुरे पल जीवन में अक्सर आते रहते हैं ।
और हमारे मन का संयम परखते रहते हैं ।
हर हाल में लेकिन हमें मुस्कुराना चाहिए ।
जिंदादिली से जीवन का हर क्षण बिताना चाहिए ।
मगर कभी ऐसा होता है,अपना ही कोई ग़म देता है ।
हम उस पर भरोसा करते हैं,और वो छलता रहता है ।
उसके ऐसा करने से हम ,अंदर तक हिल जाते हैं ।
ना चाहते हुए भी हम बड़े दुखी हो जाते हैं ।
लेकिन ये भरपाई भी हम, अपनी करनी की भरते हैं ।
अनुभव तो सचेत करता है फिर भी नजरंदाज हम करते हैं ।
इसीलिए कभी-कभी , मुश्किल में पड़ जाते हैं ।
ना चाहते हुए भी,,आहत मन को कर जाते हैं ।
वैसे भी मानसिक स्वास्थ्य पर,असर तभी गहरा पड़ता है। 
जब मनचाहा कुछ मिलने में ,तकदीर का पहरा पड़ता है । 
नौकरी हो , पैसा हो , या हो किसी का सच्चा प्यार,,
जब तक मिल ना जाए ,आता नहीं दिल को करार ।
मगर एक बात भूल जाते हैं हम ,
दुनियाँ करले कितने भी सितम ।
हर वो शय मुमकिन है जगत में ।
जिसे चाहें पूर्ण मनोयोग से हम ।
तो क्यों अपना मानसिक स्वास्थ्य गिरायें ।
क्यों ना मन में दृढ़ विश्वास जगायें 
सब कुछ संभव इसी धरा पर ,
तो प्रयास तो बेहतर करते जायें ।
और मनचाहा सब कुछ पा जायेँ ।
हाँ मनचाहा सब कुछ पा जायेँ

©Pratibha Dwivedi urf muskan #मानसिकस्वास्थ्य #प्रतिभाउवाच #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कान© #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे 

#feelings  Sangeeta Yadav Meera Kumari Kavita Mehta kiran kee kalam se Priyanka Jain