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तुम्हारे पास रूप है तो दृष्टि मेरे पास है, नदी तु

तुम्हारे पास रूप है तो दृष्टि मेरे पास है,

नदी तुम्हारा मोल बस मेरे अधर की प्यास है ।

बस एक इतना भेद है,यही तो एक खेद है,

इधर कंटीली देह है उधर बदन गुलाब हैं ।

                                   दीपक तिवारी "अनलदग्ध" मेरी यांदे
तुम्हारे पास रूप है तो दृष्टि मेरे पास है,

नदी तुम्हारा मोल बस मेरे अधर की प्यास है ।

बस एक इतना भेद है,यही तो एक खेद है,

इधर कंटीली देह है उधर बदन गुलाब हैं ।

                                   दीपक तिवारी "अनलदग्ध" मेरी यांदे

मेरी यांदे