नहीं है ख़ास फासला जिससे चाहत हो जरूरत से ज्यादा उसी से कभी कभी हो जाती है नफरत, पूरा या आधा इनके बीच होती है बस एक लाइन महीन गलत फहमियां या गलती मिला देती है इनको कही न कहीं पलड़ा पड़ जाता हो, भले ही नफरत का भारी चाहत को समय से समझना जरूरत है हमारी नफरत और चाहत में नहीं है ख़ास फासला इसे मिटने न देना कही न कही है जिम्मेदारी सिर्फ हमारी!!! सिर्फ हमारी !!! नमस्कार लेखकों।😊 हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍 हमारे पिन किये गए पोस्ट को ज़रूर पढ़ें🥳