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वक़्त। आज शायद हम उस राह पर खड़े है जहां किसीके प

वक़्त। 
आज शायद हम उस राह पर खड़े है जहां किसीके पास वक़्त नहीं। अगर वक़्त है तो सिर्फ अपने लिए। अपनी खुशियों के लिए अपनी तमन्नवो के लिए। खुद के लिए। आज कहने को तो एक पूरा परिवार साथ रहता है लेकिन अगर हम देखे तो वो सिर्फ एक नाम के लिए साथ है। अपने दोस्तो और समाज को दिखाने के लिए साथ है। लेकिन देखे तो पता चले के सब अपने काम में व्यस्त है। कोन कहा  है क्या कर रहा है किसी को पता नहीं होता। आज हम सब वक़्त की इहमियत को भूल चुके है। पहले एक समय था जब हम एक दूसरे के पास बैठकर अपने सुख दुःख की बाते करते और आज एक समय है के हम साथ बैठकर भी एक दूसरे से अलग हो चुके है। पहले हम दूसरो के सुख दुःख मै हिस्सा बनकर उनके साथ अपने सुख दुःख बांटते और एक दूसरे को कठिन परिस्थिति में साथ देते। और आज हमे ये भी पता नहीं होता के हमारे पड़ोस में कोन रहता है या क्या चल रहा है। आज अगर हमारे पास वक़्त है तो वो सिर्फ हमारे लिए। दिन भर हाथ में फोन लिए बाते करते है। किसी के पास बैठकर बात तक करने का समय नहीं है हमारे पास। यहां तक कि अपने परिवार से भी फोन से बाते होती है। 
हम सब को मिलकर अपने उस वक़्त को याद करना चाहिए जब खुशी सिर्फ एक घरमे नहीं बल्कि पूरे मोहले मै आती थी। आज शायद हम उस समय को भूल चुके है। लेकिन हा हमें ये भी याद रखना है के हम समय को भूल सकते है लेकिन समय हमें कभी नहीं भूल सकता। हमें फिरसे वक़्त की कदर करना सीखना पड़ेगा वरना एक दिन ऐसा आएगा के हमारे पास सब कुछ होगा लेकिन हम हमारे परिवार को और उनके साथ बिताए हुए वक़्त को फिरसे नहीं पा सकेंगे। आज भी हमारे पास वक़्त है के हम थोड़ी देर अपने परिवार के साथ बैठे और बाते करे। अगर हम ऐसा नहीं कर सकते तो आने वाले भविष्य मै हम इसी समय के लिए तरसेंगे लेकिन तब हमारे हाथ से हमारा वक़्त निकल चुका होगा। वक़्त

#reading
वक़्त। 
आज शायद हम उस राह पर खड़े है जहां किसीके पास वक़्त नहीं। अगर वक़्त है तो सिर्फ अपने लिए। अपनी खुशियों के लिए अपनी तमन्नवो के लिए। खुद के लिए। आज कहने को तो एक पूरा परिवार साथ रहता है लेकिन अगर हम देखे तो वो सिर्फ एक नाम के लिए साथ है। अपने दोस्तो और समाज को दिखाने के लिए साथ है। लेकिन देखे तो पता चले के सब अपने काम में व्यस्त है। कोन कहा  है क्या कर रहा है किसी को पता नहीं होता। आज हम सब वक़्त की इहमियत को भूल चुके है। पहले एक समय था जब हम एक दूसरे के पास बैठकर अपने सुख दुःख की बाते करते और आज एक समय है के हम साथ बैठकर भी एक दूसरे से अलग हो चुके है। पहले हम दूसरो के सुख दुःख मै हिस्सा बनकर उनके साथ अपने सुख दुःख बांटते और एक दूसरे को कठिन परिस्थिति में साथ देते। और आज हमे ये भी पता नहीं होता के हमारे पड़ोस में कोन रहता है या क्या चल रहा है। आज अगर हमारे पास वक़्त है तो वो सिर्फ हमारे लिए। दिन भर हाथ में फोन लिए बाते करते है। किसी के पास बैठकर बात तक करने का समय नहीं है हमारे पास। यहां तक कि अपने परिवार से भी फोन से बाते होती है। 
हम सब को मिलकर अपने उस वक़्त को याद करना चाहिए जब खुशी सिर्फ एक घरमे नहीं बल्कि पूरे मोहले मै आती थी। आज शायद हम उस समय को भूल चुके है। लेकिन हा हमें ये भी याद रखना है के हम समय को भूल सकते है लेकिन समय हमें कभी नहीं भूल सकता। हमें फिरसे वक़्त की कदर करना सीखना पड़ेगा वरना एक दिन ऐसा आएगा के हमारे पास सब कुछ होगा लेकिन हम हमारे परिवार को और उनके साथ बिताए हुए वक़्त को फिरसे नहीं पा सकेंगे। आज भी हमारे पास वक़्त है के हम थोड़ी देर अपने परिवार के साथ बैठे और बाते करे। अगर हम ऐसा नहीं कर सकते तो आने वाले भविष्य मै हम इसी समय के लिए तरसेंगे लेकिन तब हमारे हाथ से हमारा वक़्त निकल चुका होगा। वक़्त

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