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आज रविवार है और आज का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता

आज रविवार है और आज का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है- कहा जाता है कि सूर्यदेव जगत की आत्मा है- इस पृथ्वी पर जीवन सूर्य से ही है- इसी को सर्वमान्य सत्य कहा गया है- जगत के कर्ता-धर्ता भी सूर्य को ही माना गया है-ऋग्वेद के देवताओं में  सूर्य का महत्वपूर्ण स्थान है, सूर्योपनिषद में सूर्य को ही संपूर्ण जगत की उत्पत्ति का एक मात्र कारण निरूपित किया गया है !
भगवान सूर्य मंत्र:
ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य

कालभैरव (शाब्दिक अर्थ- 'जो देखने में भयंकर हो' या जो भय से रक्षा करता है ; भीषण ; भयानक) हिन्दू धर्म में शिव के अवतार माने जाते हैं- शैव धर्म में, कालभैरव शिव के विनाश से जुड़ा एक उग्र अवतार हैं-त्रिक प्रणाली में भैरव परम ब्रह्म के पर्यायवाची, सर्वोच्च वास्तविकता का प्रतिनिधित्व करते हैं!

भैरव शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं ... पुराणों में भगवान भैरव को असितांग, रुद्र, चंड, क्रोध, उन्मत्त, कपाली, भीषण और संहार नाम से भी जाना जाता है- भगवान शिव के पांचवें अवतार भैरव को भैरवनाथ भी कहा जाता है, नाथ सम्प्रदाय में इनकी पूजा का विशेष महत्व है !

साधारण मंत्रों के बारे में लगभग सब लोग जानते हैं, मगर शाबर मंत्रों के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार हिंदू धर्म के प्रत्येक देवी-देवताओं को शाबर मंत्र समर्पित है। 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शाबरों मंत्रों की रचना मत्सयेंद्रनाथ के शिष्य गुरु गोरखनाथ ने की थी। बताया जाता है कि शाबर मंत्र बहुत ही सरल भाषा में होते हैं परंतु सटीक होते हैं। शाबर मंत्र बहुत जल्दी अपना शुभ असर दिखाते हैं लेकिन इनका जप करते समय सावधानी बरतना अधिक आवश्यक माना जाता है, अगर इन मंत्रों का जप करते समय नियमों का पालन न किया जाए तो परिणाम उल्टा हो जाता है। 

सिद्ध शाबर मंत्र:
ॐ काला भैरू, कपिला केश। काना कुंडल भगवा वेष।
तीर पतर लियो हाथ, चौसठ जोगनिया खेले पास।
आस माई, पास माई। पास माई सीस माई।
सामने गादी बैठे राजा, पीडो बैठे प्राजा मोहे।
राजा को बनाऊ कुकडा। प्रजा बनाऊ गुलाम।
शब्द सांचा, पींड काचा। राजगुरु का बचन जुग जुग साचा।
सतनाम आदेश गुरुजी को आदेश आदेश।

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम)आज 111 से  121 नाम :-

111 पुण्डरीकाक्षः हृदयस्थ कमल में व्याप्त होते हैं
112 वृषकर्मा जिनके कर्म धर्मरूप हैं
113 वृषाकृतिः जिन्होंने धर्म के लिए ही शरीर धारण किया है

114 रुद्रः दुःख को दूर भगाने वाले
115 बहुशिरः बहुत से सिरों वाले
116 बभ्रुः लोकों का भरण करने वाले
117 विश्वयोनिः विश्व के कारण
118 शुचिश्रवाः जिनके नाम सुनने योग्य हैं
119 अमृतः जिनका मृत अर्थात मरण नहीं होता
120 शाश्वतः-स्थाणुः शाश्वत (नित्य) और स्थाणु (स्थिर)
121 वरारोहः जिनका आरोह (गोद) वर (श्रेष्ठ) है

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' आज रविवार है और आज का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है- कहा जाता है कि सूर्यदेव जगत की आत्मा है- इस पृथ्वी पर जीवन सूर्य से ही है- इसी को सर्वमान्य सत्य कहा गया है- जगत के कर्ता-धर्ता भी सूर्य को ही माना गया है-ऋग्वेद के देवताओं में  सूर्य का महत्वपूर्ण स्थान है, सूर्योपनिषद में सूर्य को ही संपूर्ण जगत की उत्पत्ति का एक मात्र कारण निरूपित किया गया है !
भगवान सूर्य मंत्र:
ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य

कालभैरव (शाब्दिक अर्थ- 'जो देखने में भयंकर हो' या जो भय से रक्षा करता है ; भीषण ; भयानक) हिन्दू धर्म
आज रविवार है और आज का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है- कहा जाता है कि सूर्यदेव जगत की आत्मा है- इस पृथ्वी पर जीवन सूर्य से ही है- इसी को सर्वमान्य सत्य कहा गया है- जगत के कर्ता-धर्ता भी सूर्य को ही माना गया है-ऋग्वेद के देवताओं में  सूर्य का महत्वपूर्ण स्थान है, सूर्योपनिषद में सूर्य को ही संपूर्ण जगत की उत्पत्ति का एक मात्र कारण निरूपित किया गया है !
भगवान सूर्य मंत्र:
ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य

कालभैरव (शाब्दिक अर्थ- 'जो देखने में भयंकर हो' या जो भय से रक्षा करता है ; भीषण ; भयानक) हिन्दू धर्म में शिव के अवतार माने जाते हैं- शैव धर्म में, कालभैरव शिव के विनाश से जुड़ा एक उग्र अवतार हैं-त्रिक प्रणाली में भैरव परम ब्रह्म के पर्यायवाची, सर्वोच्च वास्तविकता का प्रतिनिधित्व करते हैं!

भैरव शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं ... पुराणों में भगवान भैरव को असितांग, रुद्र, चंड, क्रोध, उन्मत्त, कपाली, भीषण और संहार नाम से भी जाना जाता है- भगवान शिव के पांचवें अवतार भैरव को भैरवनाथ भी कहा जाता है, नाथ सम्प्रदाय में इनकी पूजा का विशेष महत्व है !

साधारण मंत्रों के बारे में लगभग सब लोग जानते हैं, मगर शाबर मंत्रों के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार हिंदू धर्म के प्रत्येक देवी-देवताओं को शाबर मंत्र समर्पित है। 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शाबरों मंत्रों की रचना मत्सयेंद्रनाथ के शिष्य गुरु गोरखनाथ ने की थी। बताया जाता है कि शाबर मंत्र बहुत ही सरल भाषा में होते हैं परंतु सटीक होते हैं। शाबर मंत्र बहुत जल्दी अपना शुभ असर दिखाते हैं लेकिन इनका जप करते समय सावधानी बरतना अधिक आवश्यक माना जाता है, अगर इन मंत्रों का जप करते समय नियमों का पालन न किया जाए तो परिणाम उल्टा हो जाता है। 

सिद्ध शाबर मंत्र:
ॐ काला भैरू, कपिला केश। काना कुंडल भगवा वेष।
तीर पतर लियो हाथ, चौसठ जोगनिया खेले पास।
आस माई, पास माई। पास माई सीस माई।
सामने गादी बैठे राजा, पीडो बैठे प्राजा मोहे।
राजा को बनाऊ कुकडा। प्रजा बनाऊ गुलाम।
शब्द सांचा, पींड काचा। राजगुरु का बचन जुग जुग साचा।
सतनाम आदेश गुरुजी को आदेश आदेश।

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम)आज 111 से  121 नाम :-

111 पुण्डरीकाक्षः हृदयस्थ कमल में व्याप्त होते हैं
112 वृषकर्मा जिनके कर्म धर्मरूप हैं
113 वृषाकृतिः जिन्होंने धर्म के लिए ही शरीर धारण किया है

114 रुद्रः दुःख को दूर भगाने वाले
115 बहुशिरः बहुत से सिरों वाले
116 बभ्रुः लोकों का भरण करने वाले
117 विश्वयोनिः विश्व के कारण
118 शुचिश्रवाः जिनके नाम सुनने योग्य हैं
119 अमृतः जिनका मृत अर्थात मरण नहीं होता
120 शाश्वतः-स्थाणुः शाश्वत (नित्य) और स्थाणु (स्थिर)
121 वरारोहः जिनका आरोह (गोद) वर (श्रेष्ठ) है

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' आज रविवार है और आज का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है- कहा जाता है कि सूर्यदेव जगत की आत्मा है- इस पृथ्वी पर जीवन सूर्य से ही है- इसी को सर्वमान्य सत्य कहा गया है- जगत के कर्ता-धर्ता भी सूर्य को ही माना गया है-ऋग्वेद के देवताओं में  सूर्य का महत्वपूर्ण स्थान है, सूर्योपनिषद में सूर्य को ही संपूर्ण जगत की उत्पत्ति का एक मात्र कारण निरूपित किया गया है !
भगवान सूर्य मंत्र:
ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य

कालभैरव (शाब्दिक अर्थ- 'जो देखने में भयंकर हो' या जो भय से रक्षा करता है ; भीषण ; भयानक) हिन्दू धर्म

आज रविवार है और आज का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है- कहा जाता है कि सूर्यदेव जगत की आत्मा है- इस पृथ्वी पर जीवन सूर्य से ही है- इसी को सर्वमान्य सत्य कहा गया है- जगत के कर्ता-धर्ता भी सूर्य को ही माना गया है-ऋग्वेद के देवताओं में सूर्य का महत्वपूर्ण स्थान है, सूर्योपनिषद में सूर्य को ही संपूर्ण जगत की उत्पत्ति का एक मात्र कारण निरूपित किया गया है ! भगवान सूर्य मंत्र: ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य कालभैरव (शाब्दिक अर्थ- 'जो देखने में भयंकर हो' या जो भय से रक्षा करता है ; भीषण ; भयानक) हिन्दू धर्म #समाज